चलो सब कुछ खत्म करते है
चलो सब कुछ खत्म करते है .
हां सही सुना, सब कुछ खत्म करते है .
बहुत बाते है जो तुम्हें पसंद नहीं .
बहुत बाते है जो हमे पसंद नहीं .
इसलिए बेहतर होगा कि, सब कुछ खत्म करते है .
लगता है अगर तुम्हें .
बहुत बुरे है हम .
हर बार बस दिल दुखाना जानते है .
कभी आपकी बात नहीं मानते है .
तो सबसे पहले उस बुराई को खत्म करते है.
सोचते हो अगर हम कभी मिल नहीं पायेंगे .
तमाम कोशिश के बाद भी एक नहीं हो पायेंगे .
ये दूरियां मजबूरियां हो जायेगी .
तो चलो सबसे पहले इन दूरियों को खत्म करते है .
लगता हो अगर हर बात पर बुरा तुम्हें .
या हम ही नहीं समझ पा रहे है तुम्हें .
तो देर मत करो अब ,
हम ऐसे सारे सवाल ही खत्म करते है .
खुशियों की राहों में, आ रहे हो कही गम तो .
किसी बात को लेकर, हो रही है आँखे नम तो .
तुम्हारी प्यारी सी ख़ुशी के लिए .
आज हम उन सभी ग़मों को खत्म करते है .
शायद दूरियां बहुत है, तुम्हारे और हमारे घर में .
क्यों ना हम ये, दूरियां खत्म करते है .
सुबह उठे तो दिखे बस, चेहरा तुम्हारा .
चलो अब दो घरों को, एक करते है .
कवि बलराम सिंह राजपूत
http://poembalram.blogspot.in/
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