प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस


प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .
घणो प्यारों है, आपणो देश .
रंगत है इणमें, घणी प्यार की . 
प्यारों है याकों, भेष .
प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .


तू तो जांणे थारे बीण में, एक पल भी रईया नहीं पाऊँगी .
थारो साथ नहीं मिल्यो पिया तो, मैं टूट टूट रह जाऊंगी .
तू भी जाणे अतरी तो, कैसे साथै मैं थारे आउंगी.
मत जा रे प्रीतम, बिण थारे ना है कई भी शेष .
प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .

जाणु हु मैं, कई है थारो सपणो .
छोटो सो परिवार है, अपणो .
थारी आस में तकते तकते, आंख्या बंद नी कर दे झपकणो .
थार से नी चावे म्हारे, धन दौलत और ऐश .
प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .

पतों नहीं तू ईब जावेगो, जाको पाछो कब तू आवेगो .
पयसों तो तू कमाई लेगा, पर खुशिया ने बिसरावेगो .
थारो इंतजार करते करते, यो जीवण यूहीं खत्म हुई जावेगो .
थारा बिण कुछ भी नहीं मैं,  मत कर म्हारा जीवण से द्वेष .
प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .

प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .
घणो प्यारों है, आपणो देश .
रंगत है इणमें, घणी प्यार की . 
प्यारों है याकों, भेष .
प्रिया छोड़ ना जइयो, परदेस .
कवि बलराम सिंह राजपूत




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