आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते
एक पल भी बिन तुम्हारे, गर रहा जाता .
ये लम्हा हर घडी, गर सहा जाता .
तो हम इस तरह तुमसे दिल की, फ़रियाद ना करते .
आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते .
तुम बिन गर कभी, हमारी सुबह हो भी जाती .
पता नहीं फिर वह, शाम हो भी पाती .
बिन तुम्हारे गर दिल में, सुकून होता .
तो हम इस तरह तुमसे दिल की, फ़रियाद ना करते .
आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते .
कैसे कह दे हम, कि कितना प्यार है तुमसे .
खुद से ज्यादा कितना, एतबार है तुम पे .
हमारा जिंदगी का एक भी लम्हा, गर बिन तुम्हारे गुजर गया होता .
तो हम इस तरह तुमसे दिल की, फ़रियाद ना करते .
आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते .
कवि - बलराम सिंह राजपूत
ये लम्हा हर घडी, गर सहा जाता .
तो हम इस तरह तुमसे दिल की, फ़रियाद ना करते .
आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते .
तुम बिन गर कभी, हमारी सुबह हो भी जाती .
पता नहीं फिर वह, शाम हो भी पाती .
बिन तुम्हारे गर दिल में, सुकून होता .
तो हम इस तरह तुमसे दिल की, फ़रियाद ना करते .
आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते .
कैसे कह दे हम, कि कितना प्यार है तुमसे .
खुद से ज्यादा कितना, एतबार है तुम पे .
हमारा जिंदगी का एक भी लम्हा, गर बिन तुम्हारे गुजर गया होता .
तो हम इस तरह तुमसे दिल की, फ़रियाद ना करते .
आज क्या हम कभी, तुम्हे याद ना करते .
कवि - बलराम सिंह राजपूत
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