मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है by kavi balram singh rajput

मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .
उससे ज्यादा गर्व है, वो एक अच्छे इंसान है .

वह सड़कों पर, दूध को नहीं बहाते है .

वह बसों में आग, नहीं लगाते है .
हिंसा के रास्ते, भूलकर भी नहीं जाते है .
बहकावे में आकर किसी पर, पत्थर भी नहीं बरसाते है. 
चाहे किसी ने किये हो कितने भी सितम, फिर भी वे अहिंसावान है .
मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .


याद है उनको किसानो की पीड़ा, पर वे बाजार बंद नहीं कराते है .

अपनी मांग को मनवाने के खातिर, चक्का जाम नहीं कराते है .
जानते है वो गरीब का घर, रोज की मेहनत से चलता है .
सभी को यही बात, हर रोज ही समझाते है .
तभी तो मेरे दिल में, उनके लिए इतना सम्मान है .
मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .

दिन भर मेहनत कर, वे अपना घर चलाते है .

सुकून की रात में, थक हार सो जाते है .
उम्मीद है हर वक्त, अपने वक्त के बदलने की .
इसीलिए वे इंसानियत को, खुद से पहले अपनाते है .  
सिर्फ मेरा ही नहीं, वे पुरे घर का अभिमान है.
मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .

मैं पंछी हू तो, वे पेड़ है  नीड है .

अकेलेपन में  मेरे, वो घनी भीड़ है .
मायूस अगर मैं, हो जाऊ कभी तो .
तो उनके विचार ही नहीं, शब्द भी गंभीर है .
मैं एक छोटा सा इंसान हू तो, पिता मेरे आसमान है .
मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .

उन्होंने पढ़ाया लिखाया, हमे इस लायक बनाया .

नेकी की राह से, उम्मीद को जगाया .
चाहे तोड़े हो उन्होंने, अपने ख्वाब हजार .
पर हमारे हर सपने को, बुलंदियों से सजाया .
मैं शरीर हू तो, वो उसमे जान है .
मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .

आज जरूरत है किसान को, इंसान बनने की .

अपने भारत देश की, शान बनने की .
मेरे पिता जैसा शायद, बन सकता नहीं हर कोई .
 फिर भी किसान तुम कोशिश करो, महान बनने की . 
मैं तो कुछ नहीं हू उनके सामने, पर वो पूरा हिंदुस्तान है .
मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .

कवि - बलराम सिंह राजपूत ( किसान का बेटा )

कवि हू कवितायें सुनाता हू .
#happy_fathers_day




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