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"बेहतर भारत" बनाये

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बड़ी खुशी की बात है देश के विकास में आज कुछ लोग और जन भागीदार बन गए है. जिन्होंने भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होकर यह सिद्ध कर दिया की देश के विकास के लिए हर कदम पर वे उनके साथ खड़े है. बात हार या जीत की नही है, किन्तु आज मेरा उन लोगो से सवाल है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर उंगलिया उठा रहे थे, जिन्हें उनके द्वारा किया गया काम नजर ही नही आ रहा था. जो सिर्फ यह कहते थे कि मोदी जी भाषण बाजी और जुमले बाजी करते फिरते है. कुछ लोगो ने तो ऐसी बाते भी कही है, जिन्हें सुनकर ही हँसी आ जाती है, जिसमे कहा कि मोदी जी को नोटबंदी करने से पहले बताना चाहिए था. उन्हें अचानक से ऐसा फैसला नही करना चाहिए था.... गजब के लोग है जो ऐसी बाते करते है...... 

जब जब चेहरा याद आता हे kavi balram singh rajput

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जब जब चेहरा याद आता हे, प्यार भी जालिम बन जाता हे. उसके सितम को भूले भी केसे, दर्द परछाई सा साथ आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे........... अब न रहे कुछ दिल में सपने, छोड़ गए मुझे जो थे अपने. किसके सहारे अब हम जियेगे, कोई ना मेरे साथ आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे.......... जला भी डाले तेरे खत को, समझाया किसी तरह खुद को. पर मन तो मेरा दौड़ लगाये, जब भी किसी का ख़त आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे........... इस दिल को तन्हा छोड़ गए तुम,मुझसे रिश्ता तोड़ गए तुम. हालत मेरी आकर देखो, फिर भी तरस तुमको न आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे, प्यार भी जालिम बन जाता हे. उसके सितम को भूले भी केसे, दर्द परछाई सा साथ आता हे. कवि-बलराम सिंह राजपूत कवि हू कविताये सुनाता हू

क्या फर्क पड़ता हे by Kavi Balram Singh Rajput

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प्यार को पाने के खातिर, कोई कितना लड़ता हे | पर उनको मिलने से बिछड़ने से, क्या फर्क पड़ता हे | याद में उनकी कोई रोये, या फिर आहे भरे | तारे गिनने से आसमा को, क्या फर्क पड़ता हे |

देखता हू जिन्दगी में, खोल कर वो खिडकिया

देखता हू जिन्दगी में, खोल कर वो खिडकिया . आंसू के परदे हटाकर, छोड़ कर वो सिसकियाँ . बस तू नजर आती है, दूर तक आसमान में . एक तुमसे भी हमने, प्यार कुछ ऐसा किया .

कविता : kavi balram singh rajput

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कविता : kavi balram singh rajput:  तेरे मासूम से इश्क का , समा देखता हू .   तेरी एक झलक में , सारा जहाँ देखता हू.   आदि मुजरिम नही हू , तेरे इश्क का मै .   तेरी नजरो में , खुदा देखता हू 

जिन्दगी एक मैच हे कवि-बलराम सिंह राजपूत

जिन्दगी एक मैच हे,  पता नही कितने वनडे शेष हे. जिसमे धोनी सा धमाल हे,  कभी विराट सा कमाल हे. कभी रोहित सी शान हे,  कभी मोहित सी मुस्कान हे.

तेरे मासूम से इश्क का , समा देखता हू .kavi balram singh rajput

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तेरे मासूम से इश्क का , समा देखता हू . तेरी एक झलक में , सारा जहाँ देखता हू. आदि मुजरिम नही हू , तेरे इश्क का मै . तेरी नजरो में , खुदा देखता हू.