बता दो हमे, हम आज क्या लिख दे . kavi balram singh rajput


बता दो हमे, हम आज क्या लिख दे .
तुम्हारे गम लिखे, या खुशी हरदम लिख दे.
या फिर गम भी और खुशी भी, दोनों सम लिख दे .
तेरी मजबूरियां लिखे, या तेरी मेहरवानिया लिख दे .
या फिर नाम तुम्हारे अपनी, जिन्दगानिया लिख दे .

बता दो हमे, हम आज क्या लिख दे .
तुम पर एतबार लिखे, या इकरार लिख दे .
या फिर तुमने जो झेले है सितम, उनकी फ़रियाद लिख दे .
खुशी देखे चेहरे पर तुम्हारे, हजारो साल हो गए है .
तुम कह दो तो जरा सी, मुस्कान लिख दे .
मजबूरियों में भी थामे रखा हाथ, तुम कहो तो साथ लिख दे .
या फिर की गयी तुम्हारे साथ, ख्वाबो की वो बात लिख दे .
हम तो चाहते है, तुम्हारे यादों की हर रात लिखे .
पर तुम ही बता दो, कैसे हम अपने जज्बात लिख दे .
बता दो हमे, हम आज क्या लिख दे .
तुन्हे इंसान ही रहने दे, या फिर खुदा लिख दे .
या फिर दोस्ती के रिश्ते में, सबसे जुदा लिख दे .
तुम्हारी उदास आँखों के, आंसू लिख दे .
या तुम्हारे दिल की धड़कती, सांसे लिख दे .
मिलोगे नहीं अगर तुम अब तो, हम प्यार की निशानी लिख दे .
तुम्हारे और मेरे बिच की, बाते सयानी लिख दे .
अपनों के दिए दर्द का, पानी पानी लिख दे .
तुम कहो तो आज सारी,  कहानी लिख दे .
बता दो हमे, हम आज क्या लिख दे .
कवि - बलराम सिंह राजपूत 

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