जब जब चेहरा याद आता हे kavi balram singh rajput
जब जब चेहरा याद आता हे, प्यार भी जालिम बन जाता हे. उसके सितम को भूले भी केसे, दर्द परछाई सा साथ आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे........... अब न रहे कुछ दिल में सपने, छोड़ गए मुझे जो थे अपने. किसके सहारे अब हम जियेगे, कोई ना मेरे साथ आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे.......... जला भी डाले तेरे खत को, समझाया किसी तरह खुद को. पर मन तो मेरा दौड़ लगाये, जब भी किसी का ख़त आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे........... इस दिल को तन्हा छोड़ गए तुम,मुझसे रिश्ता तोड़ गए तुम. हालत मेरी आकर देखो, फिर भी तरस तुमको न आता हे. जब जब चेहरा याद आता हे, प्यार भी जालिम बन जाता हे. उसके सितम को भूले भी केसे, दर्द परछाई सा साथ आता हे. कवि-बलराम सिंह राजपूत कवि हू कविताये सुनाता हू