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जून, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्राण नहीं तो आपके प्यार का कोई मोल नहीं by kavi balram singh rajput

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यक़ीनन हर इंसान अपनी जिंदगी में किसी ना किसी से प्यार करता है, और यह भी सच है कि प्यार या प्रेम दुनिया में करने के लिए बहुत लड़ना पड़ता है, रोना पड़ता है, दुःख झेलने पड़ते है और आखिर में थक हार कर उसके मन में यही विचार आता है कि जो भी किया शायद बहुत बड़ी भूल थी. जब सब कुछ खत्म होने की कगार पर होता है तो बस यही कहा जाता है कि तुम हमेशा मेरे दिल में जिन्दा रहोगे. में कुछ रिश्तो में बंधी हुई हू या बंधा हुआ हू जिन्हे चाहकर भी नहीं तोडा जा सकता है.

मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है by kavi balram singh rajput

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मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है . उससे ज्यादा गर्व है, वो एक अच्छे इंसान है . वह सड़कों पर, दूध को नहीं बहाते है . वह बसों में आग, नहीं लगाते है . हिंसा के रास्ते, भूलकर भी नहीं जाते है . बहकावे में आकर किसी पर, पत्थर भी नहीं बरसाते है.  चाहे किसी ने किये हो कितने भी सितम, फिर भी वे अहिंसावान है . मुझे गर्व है इस बात का, मेरे पिता किसान है .

गांव शहर नहीं, किसान का घर जल रहा है... by- किसान का बेटा- कवि बलराम सिंह राजपूत kavi balram singh rajput

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गांव शहर नहीं, किसान का घर जल रहा है ऊँची उठती लपटों को देखकर, लोगो के आंदोलनकारी शोर को सुनकर . किसी ने कहा गांव जल रहा है, किसी ने कहा शहर जल रहा है . पर जब नजदीक जाकर, मन की आँखों से देखा तो पता चला . न गांव जल रहा है न शहर जल रहा है, वहा किसी गरीब का घर जल रहा है .

मैं ठेठ गांव का छोरा by कवि बलराम सिंह राजपूत kavi balram singh rajput

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तू शहर की पढ़ी लिखी, मैं ठेठ गांव का छोरा . तू महलों में रहती, अपना जंगल बिच बसेरा . प्रेम के पीहर में जन्मे हम, वही हमारा डेरा . आभावों की आबादी में, जहां होता रोज सवेरा .